वे सपने जो भारत को सोने न दे!
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जिन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जानते है ने कहा था कि
"सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते"
इसका मतलब ये है कि जब हम अपनी जिंदगी में कुछ करने के लिए ठान लेते है तो उसे पाने के लिए हम हर कोशिश करते है।
• भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने अपनी एक प्रसिद्ध भाषण में कहा कि " 14 अगस्त 1947 की रात जब 12 बजे का घंटा बजेगा तब पूरा विश्व सो रहा होगा, तब भारत जीवन और स्वधीनता के मार्ग की ओर अग्रसर होगा।"
हम सभी को इस पुनीत क्षण में भारत और उसकी जनता की सेवा के प्रति समर्पित होने का संकल्प करना चाहिए।
आज भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी जिस स्वप्न को साकार करने की बात कह रहे थे, उनमें (समावेशी विकास, गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार उन्मूलन, सहिष्णुता, लैंगिक समानता की स्थापना तथा सतत विकास आदि मुख्य हैं।)
आज भारत में विकास को लेकर लोगो में एक नई प्रकार की भ्रांतियाँ जन्म ले चुकी हैं। मसलन: सत्ताधारी पार्टी के समर्थको को विकास नजर आता हैं परंतु विपक्षियों को नहीं।
-- आजादी के बाद तथा 1991ई॰ एल॰पी॰जी॰ सुधार से पहले विकास के लिए बनाई गई योजनाएं लगभग असफल सी रही।
-- भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए जिला/राज्य स्तर पर
आयोग गठित की गई है,लेकिन कुछ कर्मचारियो में सुशिक्षा तथा जनता में जागरूकता के अभाव के कारण नीति कमजोर बन जाती है।
-- जनसंख्या की अधिकता, शिक्षा व्यवस्था में कमजोरी, गाँव आदि गरीबी की मूल वजह है।
"तुम्हारी फाइलोंमें गाँव का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आँकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी हैं ।
-- यदि बात महिलाओं की हो तो:
डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने एक बात कहा था-
किसी समुदाय के विकास का आकलन समुदाय के स्त्रियों के द्वारा प्राप्त किये गए विकास के परिणाम से होता है ।
तथा
माग्रेर्ट थ्रेचर के द्वारा कही गयी बात-
एक स्त्री जो यह समझती है कि घर चलाने में क्या समस्याएं हैं, वह यह समझने के बहुत करीब हैं कि एक देश चलाने में क्या समस्या है ।
इसलिए महिलाओं को जब-जब अवसर मिला उन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में न सिर्फ अपनी उपयोगिता सिद्ध की है बल्कि बुलंदियों के झंडे भी गाडे है ।
कल्पना चावला, किरण बेदी, इंदिरा गाँधी, डॉ प्रतिभा पाटिल आदि
उन सफल महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने अपने क्षेत्रों में ऐसे मुकाम हासिल किया जो औरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं ।
आखिर में मैं जिस स्वप्न का जिक्र करना चाहूंगा वह है--> पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास के रास्ते को अपनाने का स्वप्न।
निष्कर्ष: निष्कर्ष के तैर पर यही कहा जा सकता है कि आजादी के समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा जिस स्वप्न का विषलेेक्ष्ण
उन्होंने अपने भाषण में किया था
(समावेशी विकास, गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार उन्मूलन, सहिष्णुता, लैंगिक समानता की स्थापना तथा सतत विकास आदि मुख्य हैं।)
को भी पूरा किया जा सके तो हर भारतीय गर्व से कहेगा।
" सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी ये गुलिस्ताँ हमारा। "
(आपका अपना : पिंकू विश्वकर्मा )
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